शिक्षा विभाग की लापरवाही, छात्र निःशुल्क शिक्षा से वंचित

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राजनांदगांव। कहते हैं शिक्षा ही हमें अंधेरे से निकालकर रोशनी की ओर लेकर आती है। एक ओर जहां सरकार ने प्रदेश के स्कूलों में दस दिनों तक प्रवेशोत्सव मना रही है वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की टोली स्कूल बंद होने के नाम पर आरटीई के तहत प्रवेशित छात्रों का भविष्य अंधकारमय करने में तुली हुई है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों के होने वाले सभी खर्चों का वहन करने को बाध्य है किंतु यहां तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है। अपने बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता देख पालक दर-दर गुहार लगा रहे हैं और शिक्षा विभाग अपनी आंखे मूंदे हुए है।
जानकारी के मुताबिक शीतिज साहू नामक छात्र का चयन शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा पहली में चिखली के रमन बाजार के समीप स्थित सिमना पब्लिक स्कूल में पिछले वित्तीय वर्ष किया गया था। एक साल की पढ़ाई के नाम पर स्कूल में भी गणवेश से लेकर कॉपी-पुस्तकों व अन्य कार्यक्रमों के लिए पालकों को खर्चों का वहन करने बाध्य होना पड़ा। हद तो तब हो गई जब एक साल की शिक्षा के बाद अंकसूची प्राप्त करने के लिए पालकों को सूचित किया गया और छात्रों को अंकसूची के साथ-साथ स्थानांतरण प्रमाण पत्र यह कहते हुए थमा दिया गया कि यह स्कूल अब बंद होने वाला है। इस तरह उक्त स्कूल के सभी आरटीई के तहत पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार मय हो गया।
अपने बच्चों के भविष्य को संकट में देख पालकों को कुछ नहीं सूझा तब उन्होंने जिला कलेक्टोरेट और विभाग में फरियाद लगाई लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद जनदर्शन के नाम पर वाहवाही लूटने वाले अधिकारियों के पास भी आवेदन किया गया जिसमें जिला कलेक्टर ने शिक्षा विभाग को अग्रिम कार्यवाही करने के लिए आदेशित किया, किन्तु विभाग की लापरवाही तो देखिए न ही उन्होंने आवेदन को विस्तार से पढ़ा और उसका जबाब तैयार कर अपने पास संजो कर रख लिया जब पालक इस मामले में क्या कार्यवाही हुई जानने पहुंचे तब जाकर उन्होंने पालकों को यह सूचना दी गई कि उक्त बच्चे को अब सरकारी स्कूलों में आपको पढ़ाना होगा।
जनदर्शन में आवेदन क्र. 2090723001003 के तहत पालक ने कलेक्टर के समक्ष गुहार लगाई कि उनके बच्चे की आगे की शिक्षा अब अंधेरे में हैं और हम उसके भविष्य के लिए काफी चिंतित हैं अतः उसके आगे की शिक्षा किसी अन्य स्कूल में कराई जाए। किन्तु शिक्षा विभाग ने आम जनता को न्याय दिलाने कलेक्टर द्वारा आयोजित जनदर्शन जैसे कार्यक्रम का भी खुला उल्लंघन किया है। विभाग ने जहां पालक को सूचित करने में लापरवाही दिखाई और उन्हें ना ही मोबाईल से संपर्क किया गया और ना ही कार्यवाही पत्र उनके पते पहुंचा। दूसरी ओर आवेदन को ठीक से पढ़ने और समझने की फुर्सत भी विभाग के पास नहीं थी और नियमों का हवाला देते हुए छात्र को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का आदेश पत्र जारी कर अपने ही रिकार्ड में जमा कर लिया।
जानकारी के अभाव में ना जाने कितने ही पालक इस प्रकार दर-दर भटक रहे हैं। पालक अब अपने बच्चे को न्याय दिलाने के लिए संचालक लोक शिक्षण संचालनालय नवा रायपुर और संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग को आरटीई के तहत राजनांदगांव जिले में हो रहे अन्याय पर जानकारी प्रेषित करते हुए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है और शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करते हुए अपने बच्चे को न्याय दिलाने की मांग की है।