परिवहन विभाग में भर्राशाही चरम पर : तीसरी बार प्रतिनियुक्ति पर पहुंचे आईपीएस पर उठे सवाल

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राजनांदगांव। परिवहन विभाग में इन दिनों अव्यवस्था और भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। विभाग में लंबे समय से पदस्थ एक आईपीएस अधिकारी की कार्यशैली को लेकर न केवल विभागीय कर्मचारी, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा गर्म है। आरोप है कि यह अधिकारी तीसरी बार प्रतिनियुक्ति पर परिवहन विभाग में आए हैं और अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विभाग में मनमानी करवा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, उक्त अधिकारी के खिलाफ लगातार शिकायतें दर्ज हो रही हैं, बावजूद इसके उनकी कुर्सी पर कोई आंच नहीं आई है। माना जा रहा है कि उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। बताया जाता है कि अपने कार्यकाल में यह अधिकारी खुद ज्यादा सक्रिय न रहकर कुछ टीआई स्तर के अधिकारियों को पूरा अधिकार सौंप चुके हैं, जो उनके बिहाफ पर आदेश जारी करते हैं और फाइलें निपटाते हैं।

तीन बार प्रतिनियुक्ति, फिर भी नतीजे शून्य
इस अधिकारी की यह तीसरी प्रतिनियुक्ति है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहली पोस्टिंग के दौरान यह अधिकारी ड्यूटी से भाग जाने को लेकर पहले भी विवादों में रह चुके हैं। ऐसे में इस रणछोड़ अधिकारी को बार-बार संवेदनशील विभाग में भेजना विभागीय सिस्टम पर सवाल खड़े करता है।

टीआई की मनमानी, वरिष्ठ अधिकारियों को साइडलाइन
विभाग के अंदरखाने की खबर है कि दो से तीन टीआई स्तर के अधिकारी पूरी तरह से प्रभावशाली बन चुके हैं। ये अधिकारी न केवल पोस्टिंग और रोटेशन अपने हिसाब से तय करते हैं, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों को टारगेट कर प्रताड़ित करने का काम भी कर रहे हैं। निचले स्तर का स्टाफ इससे नाराज है और खुले तौर पर असंतोष जताने लगा है।

कुर्सी बचाने के लिए ऊपर तक सेटिंग का खेल
सूत्रों का दावा है कि उक्त अधिकारी और उनके मातहतों द्वारा वसूली की गई रकम का बड़ा हिस्सा ऊपर तक पहुंचाया जाता है, जिसके कारण उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती। हाल ही में जब विभाग का प्रभार एक नए मंत्री को सौंपा गया, तब यह चर्चा तेज हुई थी कि इस अधिकारी की विदाई तय है। लेकिन वसूली नेटवर्क और राजनीतिक सेटिंग के चलते उन्होंने फिर से अपनी कुर्सी बचा ली।

डेढ़ गुनी वसूली और दो माह का एडवांस आदेश
विभागीय सूत्र बताते हैं कि अधिकारी और उनके करीबी टीआई ने हाल ही में वसूली की दर डेढ़ गुनी कर दी है। इतना ही नहीं, दो माह की वसूली एडवांस में जमा करने का फरमान जारी किया गया है। इससे विभागीय कर्मचारियों में असंतोष और बढ़ गया है।

पाटेकोहरा बैरियर बना भ्रष्टाचार का केंद्र
परिवहन विभाग के पाटेकोहरा बैरियर पर भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है। वाहन चालकों से मनमाने तरीके से वसूली की जा रही है। बताया जाता है कि अधिकारियों की शह पर पर्चियों का खेल चल रहा है, जिसमें खाली वाहनों से भी रकम ली जा रही है। वाहन मालिकों और चालकों का कहना है कि विभागीय अधिकारी और टीआई स्तर के कर्मचारी मिलकर जबरन वसूली कर रहे हैं। लगातार शिकायतों के बावजूद विभागीय स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

अब बड़ा सवाल क्या मंत्री करेंगे कार्रवाई या झुक जाएंगे?
विभाग में चल रही इस भर्राशाही ने एक बार फिर परिवहन विभाग की छवि को धूमिल किया है। अब देखना यह होगा कि नए मंत्री इस आईपीएस एंड कंपनी के आगे झुकते हैं या विभाग की साख बचाने के लिए सख्त कदम उठाते हैं।