राजनांदगांव। सृष्टि कॉलोनी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ा। कॉलोनीवासियों ने एकजुट होकर अवैध कब्जे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि कुछ लोगों द्वारा कॉलोनी की सार्वजनिक भूमि, गार्डन, प्ले ग्राउंड और सड़क पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है, जिससे न केवल नागरिकों को असुविधा हो रही है, बल्कि आने-जाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कॉलोनीवासियों ने बताया कि जहां पहले कॉलोनी की मुख्य सड़क से दो वाहन आसानी से निकल जाया करते थे, अब वहां एक वाहन भी मुश्किल से गुजर पा रहा है। कई स्थानों पर पेड़ लगाकर उनकी आड़ में बाउंड्री वॉल खड़ी की जा रही है और सरकारी जमीन पर धीरे-धीरे कब्जा जमाया जा रहा है।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि स्कूल जाने वाले बच्चों की बसों का आना-जाना भी प्रभावित हो गया है। नागरिकों ने इस मुद्दे को लेकर नगर निगम आयुक्त, महापौर और वार्ड पार्षद को ज्ञापन सौंपते हुए अविलंब कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही अवैध निर्माण नहीं हटाए गए तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
70 से अधिक नागरिकों ने किया प्रदर्शन
अवैध कब्जे के साथ ही कॉलोनी की सामूहिक बोरिंग के निजी उपयोग को लेकर भी नाराजगी देखने को मिली। कॉलोनी के लगभग 70 से अधिक नागरिक सड़क पर उतर आए और जमकर विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन के दौरान नागरिकों ने बताया कि उन्होंने पहले शांति से बात कर समस्या को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन संबंधित लोगों का रवैया टालमटोल और असहयोगपूर्ण रहा।
स्थिति “चोरी ऊपर से सीना जोरी” जैसी हो गई, जिससे कॉलोनीवासियों का धैर्य जवाब दे गया। मौके पर वार्ड पार्षद भी मौजूद रहीं और उन्होंने नागरिकों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए निगम प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
यह हैं कॉलोनीवासियों की प्रमुख मांगें:
कॉलोनी की सार्वजनिक भूमि से अवैध कब्जा तत्काल हटाया जाए।
गार्डन, प्ले ग्राउंड और सड़क जैसी सुविधाएं सुरक्षित रखी जाएं।
सामूहिक बोरिंग का दुरुपयोग रोका जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
भविष्य में ऐसे अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त निगरानी की जाए।
प्रशासन से कार्रवाई की आस
कॉलोनीवासियों ने स्पष्ट किया है कि यदि नगर निगम जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो वे चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति अपनाएंगे। उनका कहना है कि यह केवल जमीन का नहीं, बल्कि उनकी सुविधाओं और अधिकारों का प्रश्न है।
अब देखना यह होगा कि नगर निगम प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है और नागरिकों की नाराजगी को शांत करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।