छुरिया। छुरिया विकासखंड में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है और हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के पास इन तथाकथित डॉक्टरों की शैक्षणिक योग्यता और चिकित्सा डिग्रियों का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बीएमओ कार्यालय ने बताया कि क्षेत्र में 152 झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। लेकिन जब इनकी डिग्री और योग्यता की जानकारी मांगी गई तो बीएमओ ने “रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं” होने का जवाब देकर हाथ खड़े कर दिए।
152 झोलाछाप डॉक्टर, पर डिग्री का अता-पता नहीं
जानकारी के मुताबिक, इन 152 झोलाछाप डॉक्टरों के नाम, उनके क्लिनिक कहां-कहां संचालित हो रहे हैं, इसकी जानकारी बीएमओ कार्यालय के पास है। मगर जब बात आई कि इन डॉक्टरों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि क्या है और उनके पास मेडिकल से संबंधित कोई डिग्री है या नहीं, तो बीएमओ कार्यालय ने साफ तौर पर अनभिज्ञता जता दी। यह जवाब न सिर्फ हास्यास्पद है, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को भी उजागर करता है।
क्या बीएमओ की भूमिका संदिग्ध?
स्वाभाविक सवाल यह उठता है कि जिन डॉक्टरों की संख्या, ठिकाने और परिचालन की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास है, उनके प्रमाणपत्र और योग्यता की जांच क्यों नहीं की गई? क्या बीएमओ जानबूझकर अनजान बन रहे हैं? या फिर कहीं न कहीं इन झोलाछाप डॉक्टरों को संरक्षण भी मिल रहा है? यह भी आशंका जताई जा रही है कि बीएमओ और इन डॉक्टरों के बीच कोई साठगांठ हो सकती है।
हाईकोर्ट के आदेश का हो रहा उल्लंघन
यह भी गौर करने वाली बात है कि हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। बिना डिग्री के इलाज करना गैर इरादतन अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें एक साल की जेल और ₹5 लाख तक जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद छुरिया क्षेत्र में यह चिकित्सा खेल खुलेआम चल रहा है और स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना बैठा है।
बीएमओ की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
बीएमओ की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने क्षेत्र में संचालित हर निजी क्लिनिक और तथाकथित डॉक्टर की योग्यता की जांच करें। यदि कोई डॉक्टर जानकारी नहीं देता है, तो बीएमओ को उनके खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। मगर सवाल यह है कि क्या बीएमओ ऐसा करने के इच्छुक हैं?
सीएचएमओ से नहीं हो सका संपर्क
इस संबंध में सीएचएमओ राजनांदगांव से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन समाचार लिखे जाने तक उनका फोन नहीं उठाया गया, जिससे विभागीय स्तर पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई।