राजनांदगांव। विश्व रेबीज दिवस पर पशुपालन विभाग द्वारा 28 सितंबर को जानवरों के काटने पर रेबीज से बचने के लिए घर के पालतू कुत्ता, बिल्ली अन्य जानवरों को एंटी-रेबीज टीकाकरण करवाने की अपील की गई है। उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. प्रतिभा भोसले ने बताया कि जानवरों के काटने पर रेबीज से बचने के लिए श्वान को तीन महीने की उम्र में टीका लगवाना चाहिए, फिर बस्टर टीके, उसके बाद हर वर्ष में टीका भी लगवाना चाहिए। इसके लिए जिला पशु चिकित्सालय राजनांदगांव में समय-समय पर निःशुल्क एंटी-रेबीज टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। उन्होंने बताया कि रेबीज एक ऐसा वायरस है जो आमतौर पर जानवरों के काटने से फैलता है। इसके लक्षण दिखने में काफी समय लग जाता है और देर होने पर यह जानलेवा भी होता है। अगर समय रहते लोग इसके प्रति सचेत हो जाएं तो काफी हद तक बचा जा सकता है।
प्रभारी जिला पशु चिकित्सालय डॉ. तरूण रामटेके ने बताया कि रेबीज के 97 प्रतिशत मामले संक्रमित कुत्ते के काटने के कारण होता है। संक्रमित कुत्ते के अलावा यह बीमारी बिल्ली, बंदर, नेवला, लोमड़ी, सियार सहित अन्य जंगली जानवरों के काटने या नाखून मारने से भी हो सकता है। रेबीज के लक्षण में बुखार आना, सिरदर्द, मुंह में अत्यधिक लार बनना, व्यावहारिक ज्ञान शून्य होना, मानसिक विक्षिप्तता, हिंसक गतिविधियां, अति उत्तेजक स्वभाव, अजीब तरह की आवाजें निकालना, हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना), अपने में खोए रहना, शरीर में झनझनाहट होना, अंगों में शिथिलता आना, पैरालाइज हो जाना है। उन्होंने कहा कि जानवरों के काटने पर बिना समय गवाए तत्काल काटे गए जगह को साबुन या किसी एंटीसेप्टिक लोशन से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिये। इसके बाद नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें और बिना देर किए 48 घंटे के भीतर रेबीज की वैक्सीन जरूर लगवाएं। डॉ. तरूण रामटेके ने बताया कि रेबीज का संक्रमण कई दिनों या सालों बाद लक्षण उभर सकता है। अगर गर्दन या सर के पास जानवर काट लेता है, तो उसका संक्रमण जल्दी से फैलता है। रेबीज के प्रारंभिक लक्षणों में आमतौर पीड़ित व्यक्ति को जानवर द्वारा काटे गए जगह पर झुनझुनी होती है। इसके अलावा बुखार, भूख न लगना और सिरदर्द जैसी शिकायत भी शुरू हो जाती है। किसी व्यक्ति को जानवर ने काटा है, तो उसे जल्द से जल्द चिकित्सक से मिलना चाहिए और एंटीरेबीज टीके लगवाने चाहिए।