शिवनाथ तट विकास समिति में स्थानियों की अनदेखी पर फूटा आक्रोश

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राजनांदगांव। शिवनाथ नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में बसे रहवासियों का आक्रोश अब फूटने लगा है। मोहारा से गुजरने वाली जीवनदायिनी शिवनाथ नदी के विकास और आपदा प्रबंधन हेतु गठित शिवनाथ तट क्षेत्रीय विकास समिति में स्थानियों की अनदेखी को लेकर विरोध तेज हो गया है। समिति में बाहरी लोगों को जगह दिए जाने से नाराज तटवासी अब लामबंद हो गए हैं। लोगों का कहना है कि समिति में वे चेहरे शामिल किए गए हैं, जिनका न तो क्षेत्र से कोई वास्ता है और न ही आपदा के समय उनकी कोई भूमिका रही है।
रहवासियों का कहना है कि हर साल बाढ़ जैसी आपदाओं का सामना करने वाले स्थानीय लोग ही सबसे पहले राहत और बचाव के कार्यों में आगे आते हैं। वे अपनी जान की बाजी लगाकर मदद करते हैं, लेकिन समिति में उनकी आवाज को अनदेखा कर दिया गया है। वहीं पदाधिकारी केवल कागजों में सक्रिय रहते हैं और श्रेय लेने से नहीं चूकते।
मोहारा निवासी पीलेश्वर (पिंटू) देवांगन ने कहा कि बाढ़ जैसी आपदाओं की पीड़ा वही समझ सकता है, जो उसे झेलता है। मगर समिति में ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी गई है जिन्हें न तो क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी है और न ही समय पर उनकी उपस्थिति होती है। समिति का गठन तटीय विकास और आपदा प्रबंधन के उद्देश्य से हुआ है, ऐसे में जरूरी है कि इसमें स्थानीय और सक्रिय लोगों को ही शामिल किया जाए।
मोहारा, सिंगदई, मोहड़, हल्दी सहित आसपास के गाँवों के लोगों ने समिति के वर्तमान स्वरूप को लेकर कड़ा विरोध जताया है। लोगों का कहना है कि जब तक समिति में तटवासी लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, तब तक वह जनहित में कार्य नहीं कर सकती। अब यह मामला सिर्फ विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि रहवासी समिति को भंग करने की मांग को लेकर जल्द ही उच्च स्तर पर आवाज उठाने की तैयारी में हैं।
स्थानियों की इस पहल से साफ है कि अब समिति में पारदर्शिता और क्षेत्रीय सहभागिता सुनिश्चित किए बिना काम आगे नहीं बढ़ पाएगा।