शहर के सैकड़ों गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित, पालक बेहाल : क्रिष्टोफर पॉल

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राजनांदगांव। राज्य सरकार की मंशा है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि अधिक से अधिक बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए, लेकिन जिले में स्थिति इसके ठीक उलट है। शहर के सैकड़ों गरीब बच्चे, जिन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत स्कूलों में प्रवेश मिला था, अब अगली कक्षाओं में प्रवेश से वंचित हो गए हैं।


लखोली निवासी खेमचंद वर्मा ने बताया कि उनके बेटे को शिक्षा विभाग द्वारा पैरेंट्स प्राइड स्कूल, बलदेवबाग में दाखिला दिलाया गया था। यह स्कूल केवल कक्षा आठवीं तक संचालित है और अब उनका बच्चा नवमीं में पहुंच चुका है। नियमानुसार अब बच्चे को किसी अन्य स्कूल में नवमीं से बारहवीं तक की शिक्षा के लिए स्थानांतरित किया जाना चाहिए, लेकिन एक माह से लगातार प्रयासों के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया।
इसी तरह पीड़ित पालक मोनू नायडू, जो लखोली निवासी हैं, ने बताया कि उनके बच्चे को आरटीई के तहत कर्मा विद्यालय, हीरामोती लाइन में प्रवेश मिला था, जो अब बंद हो गया है। वे एक वर्ष से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक उनके बच्चे का अन्य स्कूल में दाखिला नहीं हो पाया।


कलेक्टर से हस्तक्षेप की मांग

थक-हार कर दोनों पालकों ने कलेक्टर से हस्तक्षेप की मांग की है और लिखित शिकायत सौंपी है। पालकों का कहना है कि उनके बच्चे शिक्षा से वंचित हो चुके हैं और विभागीय लापरवाही के चलते उनका भविष्य अधर में है।

आरटीई बच्चों के लिए नहीं हो रही व्यवस्था

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने बताया कि शहर में लगभग 100 आरटीई बच्चों की यही स्थिति है। इन बच्चों को समय पर अन्य स्कूलों में स्थानांतरित नहीं किया जा रहा, और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। श्री पॉल ने कहा कि शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है, और इससे वंचित करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार कानून को मजाक बना दिया है। अधिकारियों की लापरवाही और संवेदनहीनता के चलते गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है।

जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

उन्होंने कहा कि कलेक्टर को चाहिए कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और आरटीई के तहत पढ़ रहे सभी गरीब बच्चों को बारहवीं तक की शिक्षा निःशुल्क और निरंतर रूप से दिलाने की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करें। अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन पर हैं कि वह इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाता है।