व्यापारिक संगठन कैट ने 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने की सलाह दी तिथि को लेकर अनावश्यक भ्रम

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व्यापारिक संगठन कैट ने 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने की सलाह दी
0 तिथि को लेकर अनावश्यक भ्रम


राजनांदगांव। इस वर्ष दीपावली पर्व की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पंचांगों के अनुसार कहीं 20 अक्टूबर तो कहीं 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि मानी जा रही है। ऐसे में व्यापारिक जगत में असमंजस का माहौल है। इस पर स्पष्टता लाने के लिए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने व्यापारी समुदाय को 20 अक्टूबर, सोमवार को दीपावली मनाने की सलाह दी है।


0 कैट ने दी एकरूपता की अपील


कैट का कहना है कि अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर की शाम तक रहेगी, अतः शास्त्र सम्मत दृष्टि से 20 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन व दीपावली उत्सव उचित रहेगा। संगठन ने देशभर के व्यापारिक प्रतिष्ठानों से आग्रह किया है कि सभी व्यापारी एक ही दिन पूजा करें, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में एकरूपता और उत्साह बना रहे।


राजनांदगांव जिला कैट अध्यक्ष राजू डागा, प्रदेश संरक्षक अनिल बरडिया, अशोक पांडे, संजय तेजवानी, भावेश अग्रवाल, आलोक बिंदल, हेतल भोजानी ने कहा कि “राजनांदगांव जिले के सभी व्यापारी बंधु 20 अक्टूबर को दीपावली-लक्ष्मी पूजन करें। यह न केवल शास्त्र सम्मत है, बल्कि व्यापारिक एकजुटता का प्रतीक भी है। दो तिथियों में उलझने की बजाय सभी मिलकर एक साथ पर्व मनाएँ, यही शुभ होगा।”


0 पंडितों के मतभेद से बना भ्रम


शहर के कई पंडितों का कहना है कि 20 अक्टूबर को ही अमावस्या तिथि का पूर्ण प्रभाव रहेगा और शुभ मुहूर्त में पूजा करना उचित है। वहीं कुछ अन्य पंडित 21 तारीख को अमावस्या मानते हैं। इन अलग-अलग मतों के कारण आमजन और व्यापारी दोनों ही संशय में हैं।
0 खरीदारी और बाजार पर असर
तिथि को लेकर चल रहे भ्रम से बाजारों में खरीदारी की गति दो हिस्सों में बँट गई है। दीपावली पूजन की सामग्री, मिठाई और उपहारों की बिक्री पर इसका असर पड़ रहा है। कई व्यापारी मानते हैं कि यदि एक ही दिन तय हो जाए, तो ग्राहकों की भीड़ और बाजार की रौनक दोगुनी हो जाएगी।

दीपावली केवल पूजा की तिथि का पर्व नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है। तिथि के मतभेदों में उलझने की बजाय समाज में सद्भाव, एकता और प्रकाश फैलाने का संदेश ही सच्ची दीपावली है। जिला कैट के मीडिया प्रभारी लक्ष्मण लोहिया ने यह जानकारी दी।