राजनांदगांव। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी रिफॉर्म को ‘बचत उत्सव’ बताए जाने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय समन्वयक एवं राजस्थान-ओडिशा प्रभारी अब्दुल कलाम ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बचत उत्सव कहना चोर की दाढ़ी में तिनका जैसी बात है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते आठ वर्षों में जीएसटी की अनियमितताओं के चलते प्रदेश के गरीब, मध्यमवर्गीय परिवारों और किसानों से करोड़ों रुपये की वसूली की गई है।
अब्दुल कलाम ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स की संज्ञा देते हुए कहा कि इससे आम लोगों की जेब पर बुरा असर पड़ा है। उनकी बचत खत्म हो गई, कर्ज का बोझ बढ़ा और आर्थिक हालात चरमरा गए। कलाम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने लगातार जीएसटी के जटिल स्लैब सिस्टम में बदलाव की मांग की थी, लेकिन मोदी सरकार ने मनमानी करते हुए इसे दूसरी आजादी बताकर जनता पर थोप दिया।
कलाम ने दावा किया कि बीते आठ सालों में प्रदेश के किसानों से कृषि यंत्र, कीटनाशक, ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों पर जीएसटी के नाम पर लगभग 6000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली हुई है। साथ ही उन्होंने कहा कि गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों से हर माह औसतन 9 हजार रुपये की वसूली की गई, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ती चली गई।
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से उद्योग व व्यापार जगत पर इसका बेहद नकारात्मक असर पड़ा है, जिससे व्यापारी आज तक उबर नहीं पाए हैं। जीएसटी विभाग पर व्यापारियों, उद्योगपतियों और ठेकेदारों को डराकर अवैध वसूली करने का भी आरोप लगाया गया।
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी में केवल दो स्लैब होने के दावे को खारिज करते हुए अब्दुल कलाम ने कहा कि वर्तमान में भी जीएसटी में कुल छह प्रकार के स्लैब मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि 40 वस्तुओं पर जीएसटी दरें बढ़ाई गई हैं, जिनमें 17 वस्तुओं पर टैक्स 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि 19 वस्तुओं को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत में लाया गया है।
कलाम ने कहा कि 35 से अधिक कृषि उत्पाद अब भी जीएसटी के दायरे में हैं। सोने-चांदी पर भी तीन प्रकार के जीएसटी दरें लागू है-5 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 40 प्रतिशत। साथ ही जीरो और निल रेटेड स्लैब भी मौजूद हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जीएसटी 2.0 में कुल 6 स्लैब लागू हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जीएसटी को लेकर भ्रम फैलाने का काम कर रही है। बचत उत्सव जैसे जुमलों से आम जनता को गुमराह किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद से देश का गरीब और किसान सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से प्रताड़ित हुआ है।