राजनांदगांव। पटरी पार क्षेत्र के चिखली स्कूल मैदान में आयोजित तीन दिवसीय खेल महोत्सव का समापन सोमवार को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर हुआ। रुद्राक्षम् वेलफेयर सोसाइटी द्वारा छत्तीसगढ़ हॉकी के मार्गदर्शन में आयोजित इस महोत्सव में क्षेत्र के सैकड़ों बच्चों ने हिस्सा लिया।
हॉकी से लेकर दौड़, रस्सीकूद, पेंटिंग और भाषण तक विभिन्न प्रतियोगिताओं से सजा चिखली मैदान, इन तीन दिनों तक बच्चों की ऊर्जा और खेल भावना से गूंजता रहा। समापन अवसर पर मैदान में भारी भीड़ देखने को मिली, जिसमें अभिभावकों और स्थानीय लोगों की भागीदारी भी उत्साहजनक रही।
खेल महोत्सव के समापन समारोह में एएसपी राहुल देव शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर वरिष्ठ पार्षद शिव वर्मा एवं सुनील साहू मंचासीन रहे। अतिथियों ने प्रतियोगिताओं के विजेता, उपविजेता एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को ट्रॉफी और प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया।
महोत्सव की शुरुआत 29 अगस्त को फिटनेस जागरूकता रैली से हुई, जिसमें चिखली, शंकरपुर, शांति नगर, ढाबा, स्टेशनपारा और दीनदयाल उपाध्याय वार्ड के बच्चों ने फिट रहें-स्वस्थ रहें का नारा लगाते हुए पूरे क्षेत्र में जागरूकता फैलाई।
इसी दिन मेजर ध्यानचंद जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे, वरिष्ठ खिलाड़ी गोविंद यादव, संतोष साहू और दिग्विजय श्रीवास्तव ने मेजर ध्यानचंद के जीवन से जुड़े प्रेरणादायक प्रसंग साझा किए।
पहले दिन शांतिनगर, चिखली, शंकरपुर और ढाबा की टीमों के बीच हॉकी का मैत्री मैच खेला गया, जिसमें शांतिनगर की टीम विजयी रही। मैच के बाद सभी खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर के खेल सेमिनार में भाग लेने के लिए रायपुर रवाना किया गया। सेमिनार में स्पोर्ट्स इंजुरी, मेंटल हेल्थ, न्यूट्रिशन और करियर गाइडेंस जैसे विषयों पर विशेषज्ञों से मार्गदर्शन मिला।
महोत्सव के दूसरे दिन 100 मीटर दौड़ में बच्चों ने तेज़ी और तकनीक का शानदार प्रदर्शन किया। तीसरे दिन बच्चों ने रस्सीकूद, भाषण और पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी रचनात्मकता और आत्मविश्वास का परिचय दिया।
अंतिम दिन साइकिल रैली के माध्यम से बच्चों ने स्वस्थ जीवनशैली का संदेश देते हुए पूरे क्षेत्र में रैली निकाली।
रुद्राक्षम् वेलफेयर सोसाइटी की यह पहल न सिर्फ खेल आयोजन भर रही, बल्कि यह पटरी पार क्षेत्र में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने वाला एक ऐतिहासिक प्रयास बनकर उभरा। पहली बार इस क्षेत्र के इतने बच्चे किसी राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल हुएए जो आने वाले वर्षों में उनके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है।