दिशाहीन, चुनावी लाभ लेने नरेन्द्र मोदी का महिमामंडन करने वाला साबित हुआ अंतरिम बजट : कुलबीर छाबड़ा

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राजनांदगांव। शहर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबड़ा ने लोकसभा चुनाव से पहले रखे गए अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जुमलों, झांसों, झूठ व आंकड़ों की हेराफेरी करने वाला निरस, दिशाहीन बजट है। उन्होंने कहा कि इसे चुनावी भाषण के सिवाय कुछ नहीं कहा जा सकता। श्री छाबड़ा कहा कि, एक ओर वित्तमंत्री ने दावा किया है कि विगत 10 सालों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर निकाला है, फिर सवाल उठता है कि आज भी 80 करोड़ लोगों को गरीब बताकर हर माह 5 किलो मुफ्त राशन क्यों दिया जा रहा है? यदि 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे से निकाला है तो आमजन की आय क्यों नहीं बढ़ी, बेरोजगारीे विगत 45 सालों में सबसे जयादा क्यों है? घरेलू कंजम्शन कम क्यों हो रही है? जब लोगों के पास जीवनयापन करने के लिए पैस ही नही तो फिर वे गरीबी रेखा से कैसे निकले?
अध्यक्ष छाबड़ा ने कहा विगत दस सालों में किसान आय दोगुना होना तो दूरए उसकी आय जस की तस क्यों है? विगत पांच सालो में पर्दे के पीछे से साजिश करके कृषि विभाग के लिए आवंटित बजट का 1 लाख 5 करोड़ रूपये कृषि मद की बजाय अन्य मदों में क्यों खर्च किया गया? वहीं मोदी सरकार को बताना होगा कि यदि मोदी-भाजपा राज में अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है तो फिर कांग्रेस-यूपीए के 10 सालों के राज में जो जीडीपी ग्रोथ औसतन 7.8 प्रतिशत प्रतिवर्ष थी, वह भाजपा के 10 साल के राज में घटकर औसतन 5.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष क्यों रह गई?
उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री ने अंतरित बजट प्रस्तुत करने के समय को चुनावी भाषण देने के लिए प्रयोग करके लोकतांत्रिक परम्पराओं का अपमान किया। वहीं 2023-24 के बजट में विभिन्न विभागों में आवंटित धन कहां, कैसे प्रयोग किया, इसका कोई उल्लेख नहीं है। सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट लक्ष्यों को संसद को बताने की बजाय हवा-हवाई जुमले उछालकर कांग्रेस राज को बदनाम करने और मोदी-भाजपा सरकार का झूठा महिमामंडन करने के सिवाय कुछ नहीं।
अंतरिम बजट के माध्यम से सरकार ने कोई दिशा प्रस्तुत करने की बजाय चुनावी लाभ लेने के लिए सरकार का महिमामंडन करने के सिवाय कुछ नही किया। कुलबीर छाबड़ा ने कहा कि सरकार के बजट भाषण से यह इंगित हुआ है कि महंगाई, बेरोजगारीे, गरीबी को दूर करने नये रोजगार के अवसर पैदा करने व देश के विकास की कोई खाका प्रस्तुत नहीं किया, जो बताता है कि सरकार हर क्षेत्र में विफल व दिशाहीन सरकार रही है। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का 2024-25 का अंतरिम बजट घोर निराशाजनक, दिशाहीन, लक्ष्यहीन बजट रहा है।