रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाने वाले एनएचएम कर्मचारियों को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक से कर्मचारियों को बड़ी उम्मीद थी, लेकिन बैठक में न तो 25 बर्खास्त पदाधिकारियों की बहाली पर कोई निर्णय लिया गया, न ही हड़ताल अवधि के वेतन भुगतान पर कोई स्पष्ट आदेश जारी हुआ।
प्रदेश में 16,500 एनएचएम कर्मचारी हाल ही में 33 दिनों तक हड़ताल पर रहे थे। उनकी 10 सूत्रीय मांगों पर सरकार ने आंदोलन स्थगन के समय सकारात्मक रुख दिखाया था। मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद हड़ताल समाप्त हुई थी।
4 मांगों में 5 प्रतिशत वेतन वृद्धि का आदेश भी अटका, स्वास्थ्य मंत्री के घोषणा के बाद भी आदेश जारी नहीं हुआ, 6 मांग भी लटके,
हड़ताल खत्म करने के बाद सरकार ने 10 में से केवल 4 मांगों में 5 प्रतिशत वेतन वृद्धि पर तत्काल आदेश जारी किये जाने का आश्वासन। लटका के रखें अधिकारी,ग्रेड पे, अनुकंपा नियुक्ति और स्थानांतरण नीति जैसी प्रमुख मांगों को लेकर 3 महीने की समयसीमा तय की गई थी। लेकिन 10 दिन बीतने के बाद भी शेष 6 मांगों पर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।
त्योहार में वेतन कटौती, बोनस से वंचित
त्योहारी सीजन में जहाँ बाकी कर्मचारियों को बोनस मिल रहा है, वहीं एनएचएम कर्मचारियों के लिए हड़ताल अवधि का वेतन कटौती आदेश एक बड़ा झटका साबित हो रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि यह दोहरी नीति का उदाहरण है।
संघ पदाधिकारियों ने जताई नाराजगी
छत्तीसगढ़ एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी और प्रवक्ता पूरन दास ने कैबिनेट बैठक के फैसलों पर गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री जी से स्पष्ट आश्वासन मिलने के बावजूद 25 बर्खास्त पदाधिकारियों की बहाली पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। यह कर्मचारियों की भावनाओं के साथ छल है।”
संघ ने रखीं तीन प्रमुख माँगें
25 बर्खास्त कर्मचारियों की तत्काल बहाली हो।
33 दिन की हड़ताल अवधि को शून्य घोषित कर वेतन दिया जाए।
बाकी बची सभी मांगों पर जल्द ठोस कार्यवाही की जाए।
कर्मचारी बोले– आश्वासन से नहीं भरता पेट
कर्मचारियों का कहना है कि यह पहली बार है जब सरकार ने आंदोलन को संवैधानिक माना, मांगों को जायज माना, सत्तारूढ़ दल के सांसद-विधायक भी समर्थन में आए, इसके बावजूद वेतन कटौती और बर्खास्तगी जैसे आदेश जारी होना तानाशाही जैसा है।
अब उम्मीद मुख्यमंत्री के फैसले पर
संघ ने अपील की है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय अपने “सुशासन के संकल्प” को सार्थक करते हुए एनएचएम कर्मचारियों को भी दीपावली से पहले राहत दें।