कृषि व कृषकों के लिए फिर घातक बन रही पेट्रोलियम व गैस पाइप लाइन के केंद्रीय नीति : कांग्रेस

4

राजनांदगांव। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की कार्य पद्धति पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों का हित करना छोड़ उनके भूमि और सुरक्षित कृषि क्षेत्र को उजाड़ करने का ताना-बाना बुनकर अपना तुगलकी आदेश फिर से जारी कर दिया है, जिससे टेमरी, सलोनी, गिधवा, हरडूवा, भरदाखुर्द, महरूम कला, मरकामटोला, ठेलकाडीह पचपेड़ी सहित आसपास के प्रभावित किसानों की नींद उड़ गई है, जो जिले सहित छत्तीसगढ़ के कृषि और किसानों के लिए घातक है।
कांग्रेस प्रवक्ता रूपेश दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार पेट्रोलियम एवं खनिज पाइप लाइन बिछाने मुंबई-नागपुर-झारसुगड़ा हेतु गैस पाइप लाइन बिछाने मे कृषि भूमि के कास्तकार है, उनकी भूमि पर बिना जिला प्रशासन की अनुमति बिना मुआवजा दिए बिना किसानों को सूचना दिए कार्य प्रारंभ कर किसान गनेशू के ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को तोड़ फोड़ कर आतंक मचाना चालू कर दिए, जिससे पीड़ित किसान से मिलने जिला पंचायत सदस्य हर्षिता स्वामी बघेल, मंडी सदस्य दुर्गेश द्विवेदी, सरपंच अश्वनी टंडन, प्रवीण पारख, प्रहलाद यादव, कुंभलाल महिलागे, चंद्रशेखर साहू, मंशाराम पाल सहित मौके पर पहुंचकर किसानों के हित संरक्षक के रूप में खड़ी रही, क्योंकि कांग्रेस नहीं चाहती कि जिले के अंजोरा-टेड़ेसरा सहित आसपास के किसान केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के अंतर्गत जहां मुआवजा के लिए आज भी परेशान हैं। इसी प्रकार डोंगरगढ़-कवर्धा रेल लाइन के नाम से भी भूमि को चिन्हित कर उन भूमियों के क्रय-विक्रय पर ही रोक लगा दिया गया है, जिसके कारण कृषक परिवार अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए ना तो जमीन बेच पा रहे हैं ना ही उस पर उन्नतशील कृषि करने की कार्य योजना बना पा रहे हैं। इसका एकमात्र कारण केंद्र सरकार की अदूरदर्शी सोच है। स्वयं 2022 तक किसानों की आय को दुगनी करने की बात करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार आय दुगना करना तो छोड़ ना इसकी कार्ययोजना तक नहीं बना पाई है और ना ही किसानों के हित के लिए कोई सोच प्रदर्शित की है। पाइप लाइन बिछाने में किसानों की जमीनों को अधिग्रहित कर कलेक्टर दर का 10 प्रतिशत ही मुआवजा देकर उस जमीन के हिस्से में किसान कोई काम नहीं कर पाएंगे अर्थात उतनी जमीन से हमेशा के लिए वंचित हो जाएंगे। 10 प्रतिशत मुआवजा राशि से किसान को ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। भूमियों में लगे वृक्षों का भी उचित मुआवजा किसानों को ना देकर दोहरी मार भारत सरकार देने जा रही है। सबसे पीड़ा दायक बात यह है कि जब निर्माण कार्य प्रारंभ होगा तो उनकी बड़ी-बड़ी वाहन और सामग्रियां के आवागमन से खेत मेड़ जहां ध्वस्त होंगे, वहीं भूमियों की उपजाऊ उर्वरा शक्ति भी कम होगी। साथ ही सुरक्षित कृषि क्षेत्र की भी दुर्गति पूर्ण उपयोग करेंगे, जिसके कारण भी किसानों को गंभीर आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि जब तक निर्माण कार्य चलेगा, तब तक किसान उस भूमि पर आर्थिक उन्नति का लाभ लेने से वंचित रहेंगे, फिर सुधार कार्य में मुआवजा से ज्यादा खर्च किसानों को करना पड़ेगा, ऐसी स्थिति में जहां किसान मार झेलेंगे, वहीं उनकी बहुमूल्य एवं प्रगति में के मार्ग में सहायक कृषि भूमि भी प्रभावित होगी। अतः केंद्र सरकार को चाहिए कि किसानों को कार्य प्रारंभ होने के पहले भूमि अधिग्रहण के मुआवजा के साथ-साथ निर्माण कार्य के दौरान होने वाली आर्थिक क्षति का भी मुआवजा देने का प्रावधान करें। कृषक गणेशु को उनकी क्षति का मुआवजा की मांग भी की है।