कर्मा विद्यालय बंद, गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित : क्रिष्टोफर पॉल

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राजनांदगांव। संसद में पारित कानून को जिले में सिर्फ कागजों में लागू करने का आरोप जिला प्रशासन पर लगते रहा है, क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून का लाभ गरीब बच्चों को मिल नहीं रहा है, जिन्हें आरटीई के बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाता है, उनके पालकों को स्वयं कापी-किताब, गणवेश खरीदना पड़ता, जिसके लिए प्रत्येक पालक प्रतिवर्ष 6 से 8 हजार खर्च करना पड़ रहा है। इसके अलावा जो प्रायवेट स्कूल बंद हो जाते है, वहां पर अध्ययनरत् आरटीई के गरीब बच्चों को किसी आसपास के प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाना है, ताकि वे कक्षा बारहवीं तक अपनी शिक्षा पूर्ण करें, लेकिन इन बच्चों को भी शिक्षा से वंचित हो पड़ रहा है।
पालको ने लिखित शिकायत कर कलेक्टर को बताया है कि कर्मा विद्यालय जो हीरामोती लाईन में संचालित हो रहा था, वह बीते वर्ष बंद हो गया, वहां पर अध्ययनरत् आरटीई के बच्चों को आज पर्यन्त किसी अन्य स्कूल में प्रवेश नहीं दिलाया गया है। पालक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है, लेकिन आज भी उनके बच्चे शिक्षा से वंचित है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि वर्ष 2020 में लगभग 20 प्रायवेट स्कूल बंद हुए, वहां के आरटीई के बच्चों को भी दो वर्ष तक शिक्षा से वंचित रखा गया, जब मामला न्यायालय पहुंचा, तब तक उन बच्चों को आनन-फानन में सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में प्रवेश दिलाया गया और अब जब कर्मा विद्यालय बीते वर्ष से बंद है, तो वहां के आरटीई के बच्चों को भी अब तक किसी अन्य स्कूल में प्रवेश नहीं दिलाया जा रहा है, जो गंभीर प्रवृत्ति का अपराध है।
श्री पॉल ने बताया कि उनके द्वारा इस मामले में कलेक्टर को पत्र लिखकर इन बच्चों को तत्काल अन्य स्कूलों में प्रवेश दिलाने का आग्रह किया गया है, अन्यथा एसोसियेशन इस मामले में भी न्यायालय में याचिका दायर करेगा।