आचार्य सरोज द्विवेदी के जन्म दिवस पर जिला ग्रथालय में राजभाषा आयोग की पुस्तकें भेंट
जिला ग्रथालय मेंअब पढ़ने को मिलेंगी छत्तीसगढ़ी साहित्य की पुस्तकें
उपस्थित कवि/ साहित्यकारो ने आचार्य श्री द्विवेदी को किया याद व दी कृतज्ञांजलि
राजनांदगांव / छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति -जिला ईकाई-राज० के संरक्षक आचार्य सरोज द्विवेदी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में उन्हें कृतज्ञता पूर्वक याद करते हुए जिला ग्रंथालय को
छ०ग० राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित पुस्तक भेंट की गई।इस अवसर पर शहर की समाज सेवी महिला श्रीमती शारदा तिवारी दिग्विजय कालेज के प्रोफेसर डा० शंकर मुनि राय” गड़बड़” कला/ साहित्य अभिरुचि वाले सेवानिवृत्त शिक्षक राजेन्द्र यादव, छ०ग० राज भाषा आयोग के जिला समन्वयक एवं साहित्य समिति के अध्यक्ष आत्मा राम कोशा ” अमात्य” उपाध्यक्ष गिरीश ठक्कर “स्वर्गीय” साकेत साहित्य परिषद के ओमप्रकाश साहू”अंकुर जिला ग्रंथालय के क्रांति साहू”, हरिशंकर झारराय, पवन यादव “पहुना ” रोशन साहू गगन सिंह” गुरु” रमेश कुमार साहू सहित बड़ी संख्या में साहित्य सुधि जन उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य श्री सरोज द्विवेदी जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। समाजसेवी श्रीमती शारदा तिवारी ने कहा कि द्विवेदी जी बहुत ही मधुर एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी धर्म, अध्यात्म, ज्योतिष सहित साहित्य व पत्रकारिता में भी समान अधिकार था। वे जहां सर्व हित के लिए साहित्य के क्षेत्र में रहे वहीं समाज हित के लिए धर्म अध्यात्म व ज्योतिष के द्वारा उन्होंने दिशा दी।
उनका आज हमारे बीच नहीं रहना समाज की अपूरणीय क्षति है । आचार्य जी उपरोक्त क्षेत्र के लोगो सहित सब को बहुत याद आएंगे। उन्होंने कहा कि उनके नाम को चिर स्थायी बनाए रखने के लिए शहर में कहीं पर आचार्य जी की प्रतिमा लगाया जाना चाहिए।
दिग्विजय कालेज के प्रोफेसर डा० शंकर मुनि राय ने कहा कि आचार्य सरोज द्विवेदी हम सबके आशीर्वादक थे। उनकी कृपा प्रसाद हमें मिलती रहती थी। दिग्विजय कालेज सहित जिले के कहीं भी आयोजित होने वाले साहित्यिक आयोजन में अपने साहित्यिक मित्रों आत्मा राम कोशा “अमात्य” गिरीश ठक्कर ” स्वर्गीय” के साथ अक्सर पहुंच जाते थे जिससे कार्यक्रम की गरिमा बढ़ जाती थी।उनका दो वर्ष पूर्व सृजन संवाद में हम समस्त कवि / साहित्यकारों द्वारा 75 वां जन्मदिन अमृत महोत्सव के रुप में धूमधाम से मनाया था।
आज वे भले हमारे बीच उपस्थित नहीं है लेकिन उनके यादें आज भी हम सब के बीच सदैव बनी रहेगी। श्री राय ने द्विवेदी
जी के जन्म दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर राजभाषा आयोग की छत्तीसगढ़ी की पुस्तकें जिला ग्रंथालय को भेंट किया जाना अच्छी पहल बताया वह कहां कि इससे छत्तीसगढ़ी में एम ए कर रहे विद्यार्थियों को पठन-पाठन का लाभ मिलेगा। कवि/ साहित्य कार आत्माराम कोशा अमात्य ने द्विवेदी जी को सभी कवि/ साहित्यकारो का संबल बताया वह उनके निधन को साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति निरुपित किया वहीं
कवि ओमप्रकाश साहू अंकुर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि द्विवेदी जी हम सबके बीच एक प्रकाश पूंज की तरह बने रहेंगे। उनके साहित्य के क्षेत्र में कलयुगी अमृत लघुकथा व धर्म अध्यात्म ज्योतिष के क्षेत्र में योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
कार्यक्रम में उपस्थित जनों का रुंधे गले के साथ आभार प्रदर्शन करते हुए समिति के उपाध्यक्ष गिरीश ठक्कर स्वर्गीय ने कहा कि द्विवेदी जी साहित्य के क्षेत्र में प्रकाश पूंज तो थे ही साथ ही हम सबके आधार स्तम्भ भी थे। उनकी यादें हम सबके दिलों में चिर स्थायी रुप बनाए रहेगी।