साहित्य समिति द्वारा मोहारा मेले में जस सम्राट दिलीप षड़ंगी हुए सम्मानित
आमापान के पतरी,,करेला पान,, जैसे सुप्रसिद्ध जसगीत के बीच मुख्य अतिथि, महापौर व श्री कोशा ने किया सम्मान
कला नगरी के कला / साहित्य रत्नों के खोने का दु:के
राजनांदगांव / कार्तिक पुर्णिमा के अवसर पर मोहारा मेले में
आयोजित रंगारंग जस गीत कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति – जिला इकाई द्वारा सुप्रसिद्ध जस गायक दिलीप षड़ंगी का सम्मान किया गया। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध जस गीत सम्राट श्री षड़ंगी के सबसे ज्यादा लोकप्रिय जसगीत,” आमा पानी के पतरी,, करेला पान के दोना, कोरी- कोरी नारियल चढ़े ,चंदवा बइगा, फूलमति आदि जैसे सुप्रसिद्ध गीतों के बीच कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व नांदगांव विधान सभा के प्रत्याशी गिरीश देवांगन, महापौर श्रीमती हेमा देशमुख व छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष -आत्मा राम कोशा “अमात्य”, सहित शिवनाथ तट क्षेत्रीय समिति के अमलेंदु हाजरा, सूर्यकांत जैन, पार्षद प्रतिनिधि अवधेश प्रजापति, व कवि, पवन यादव पहुना द्वारा श्री षड़ंगी का सम्मान शाल श्रीफल व स्मृति चिन्ह ( मेमोंटो ) प्रदान कर किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि श्री देवांगन ने कार्तिक पुर्णिमा की सबको बधाई एवं शुभकामनाएं दी वहीं महापौर श्रीमती हेमा देशमुख ने कार्तिक पुन्नी के दिन शिवनाथ नदी में श्रद्धा की डूबी लगाने वाले तथा नहीं लगाने वालों सहित सुप्रसिद्ध मोहारा मेले में आने वाले सभी लोगों को कार्तिक पुर्णिमा की ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक एवं छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री कोशा ने बताया कि साहित्य समिति द्वारा लोक कला व साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व अपने प्रदर्शनों से स्वस्थ मनोरंजन कर लोगों का दिल जीतने वाले कवि साहित्यकारों व कलाकारों का प्रायः सम्मान किया जाता रहा है। इस क्रम में मोहारा मेले में अपने दो दर्जन कलाकारों के द्वारा रंगारंग जस गीत कार्यक्रम के माध्यम से धार्मिक, सांस्कृतिक व राष्ट्रीय भावनाओं को प्रतिष्ठा देने वाले सुप्रसिद्ध जस गायक दिलीप षड़ंगी का सम्मान किया गया।श्री कोशा ने छ०ग० शासन के संस्कृति विभाग से मेरा मंडई के आयोजनों में न केवल लोक सांस्कृतिक संस्थाओं के कार्यक्रमों के, जसगान / देवी जगराता व राउत नाचा स्पर्धा जैसे कार्यक्रमों को जगह दिए जाने की बात कही ताकि मेला – मंडई का आनंद उठाने आने वाले शहर व गांव के लोग भी अपने प्रदेश के लोकगीत लोकगान ,लोकनृत्य,व विलुप्त हो रही लोक कला संस्कृति से परिचित हो सके। सम्मान कार्यक्रम का संचालन ग्राम्य कवि पवन “यादव” पहुना ने किया।
कला/ साहित्य रत्न खोने का दुख
साहित्य समिति ने कला नगरी डोंगरगांव के निवासी रहे शायर जनाब डॉ के,बी गाजी व सुप्रसिद्ध ढोलक वादक शमशेर भाई के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें शोक श्रद्धांजलि अर्पित की है । साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री कोशा ने इन कला / साहित्य धर्मियों के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गाजी शायर होने के साथ- साथ एक समाज सेवी व्यक्ति थे उन्होंने डोंगरगांव में सबसे पहले बैल दौड़ स्पर्धा की शुरुआत की थी जो आज भी वहां के वासियों में चिर स्मरणीय बना हुआ है। वहीं सुप्रसिद्ध ढोलक वादक शमशेर भाई ने नाचा मंचों से लेकर चंदैनी – गोंदा ,सोनहा- बिहान जैसे लोक सांस्कृतिक संस्थाओं सहित एक मुसलमान होकर भी रामायण गायन मंचों में अपने ढोलक / तबला वादन का जौहर दिखाया था। लोक कलाकार, उद्घोषक, पत्रकार, कवि साहित्यकार की कला नगरी डोंगरगांव के इन कला साहित्य रत्नों का निधन इस क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। उक्ताशय की जानकारी कवि पवन यादव पहुना वह रोशन साहू ने दी।