राजनांदगांव। नगर निगम के अंतर्गत सफाई कर्मचारियों से काम लेने वाले ठेकेदार लाल हो रहे हैं। निगम प्रशासन प्रति कर्मचारियों के एवज में 500 रूपये तो देता है, लेकिन ठेकेदार सिर्फ और सिर्फ 250 रूपये ही भुगतान करता है। इस तरह अपनी कमाई को दिन दूरी और रात चौगुनी ये ठेकेदार कर रहे है। यही वजह है कि लंबे समय से ठेके पर काम कर रहे सफाई कर्मचारियों की आर्थिक हालत बद से बदतर हो गई है। कई सालों से नगर निगम इन सफाई कर्मचारियों के प्रति अनदेखी बरत रहा हैै। इनसे काम लेने के लिए ठेकेदारों को ठेका दे दिया गया है, लेकिन ये ठेकेदार जिन सफाई कर्मचारियों से काम ले रहे हैं, उनका भरपूर शोषण कर रहे हैं। बरसों से जो सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं, उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हैै, क्योंकि इन सफाई कर्मचारियों के लिए निगम जितनी बड़ी रकम ठेकेदारों को देता है, उसकी तुलना में काफी कम रकम या वेतन ठेकेदार अपने अधीन काम कर रहे है कर्मचारियों को वेतन देते है। इधर नगर निगम के अधिकारी एवं जिम्मेदार नेताओं को इस बेहद लचर और शोषण भरी नीति के प्रति कोई जिम्मेदारी की समझ नहीं है। ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे शोषण की जानकारी देने पर भी कमीशनखोरी के चलते अफसर इस अव्यवस्था के प्रति कोई बदलाव नहीं कर रहे है और गहरी नींद में सोये हुए हैं।
ज्ञात हो कि पिछले कई सालों से नगर निगम द्वारा सफाई कर्मचारियों से काम लिया जो रहा है। वह ठेके पर कराया जा रहा है। केवल नियमिति कर्मचारी ही निगम के अंतर्गत सीधे वेतन पा रहे हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में काम रहे सफाई कर्मचारियों को ठेकेदारों के भरोसे छोड़ दिया गया है। निगम के अधिकारी और जिम्मेदार लोग इस ओर कभी ध्यान दिया ही नहीं और न ही इस ओर कोई अच्छा फैसला करने की कोशिश की। यही कारण है कि ठेकेदारों के अधीन सफाई कर्मचारियों की हालत दयनीय है।
यह बेहद गंभीर विषय है कि निगम ठेकेदारों के अंतर्गत काम कर रहे वर्षों पुराने सफाई कर्मचारियों के खाते में नियमानुसार ईपीएफ और ईएसआईसी की रकम खाते में जमा नहीं की जा रही है। इससे कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। लगभग 85 लाख रूपये की हेराफेरी करने की खबर हाल ही में सामने आई थी। इसके बाद भी निगम अफसर पूरी लापरवाही और बेपरवाही करते हुए मौन साधे हुए है।
इस संबंध में नगर निगम सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गोलू नायक ने कहा कि हमारे सफाई कर्मचारियों की माली हालत के प्रति अफसर गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। न ही कभी इस संबंध में जानकारी लेने का प्रयास ही किया। जिससे दिन प्रतिदिन हालत बद से बदतर हो गई है, जबकि इन ठेकेदरों की चांदी हो गई है, लेकिन यदि यही स्थिति में बदलाव नहीं किया गया तो अब सफाई कर्मचारियों के लिए मुश्किल हो जाएगी। इसलिए यह ठेकेदारों के ठेको को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाना चाहिए और निगम प्रशासन अपनी व्यवस्था से इन सफाई कर्मचारियों से काम ले।
सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गोलू नायक ने आगे बताया कि दरअसल ठेका पद्धति बंद नहीं किये जाने का महत्वपूर्ण कारण यह है कि इन ठेकेदारों से अफसरों की जेब गरम होती हैै। ठेकेदार हर माह अधिकारियों को मोटी रकम देते हैं। यही कारण है कि अधिकारी अनदेखी बरत रहे हैं। यदि यह अव्यवस्था के प्रति शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। सारे सफाई कर्मचारियों के लिए अब आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं है। जिससे इन अधिकारियों को नींद से जगाया जाए।