*डोला ग्यारस पर अपने मंदिरों से भगवान निकलेंगे जल क्रीड़ा करने25 सितंबर को श्री बालाजी मंदिर गंज लाइन से एक साथ निकलेंगे डोले
श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के आव्हान पर निकलेगी भव्य शोभायात्रा*
राजनांदगांव । संस्कारधानी नगरी में रियासत काल से विभिन्न मंदिरों मे प्राण प्रतिष्ठित लड्डूगोपाल भगवान एवं भगवान राधाकृष्ण भादवा शुक्ल पक्ष एकादशी ( जलझूलनी एकादशी ) के अवसर पर अपने-अपने मंदिरों से निकलकर भव्य डोलो मैं बैठकर भजन सत्संग करते भक्तो के संग नगर भ्रमण करते हुए रानीसागर पहुंचते हैं । जहां भगवान जल क्रीड़ा का आनंद प्राप्त करते हैं । वर्ष 2018 में श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के आवाहन पर नगर के विभिन्न मंदिरों से निकलने वाले भगवान के डोले श्री बालाजी मंदिर पुराना गंज मंडी में एकत्रित होकर एक साथ ” संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव ” के बैनर तले शोभायात्रा के रूप में निकल रहे हैं ।
संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव समिति द्वारा एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष अशोक लोहिया ने बताया कि इस भव्य शोभायात्रा में सत्यनारायण मंदिर , श्री बाला बाबा मंदिर , बलभद्री जमात मंदिर , श्री मोती नाथ मंदिर , श्री जलाराम राम मंदिर , श्री बलदेव राधा कृष्ण किला मंदिर , स्वामी जुगल किशोर बड़े जमात मंदिर , नोनी बाई मंदिर , श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर सहित अनेक निवासो में विराजित भगवान सजधज कर डोले अथवा रथ में विराजमान होकर एक साथ शोभायात्रा में शामिल होंगे । इस वर्ष भी जल क्रीड़ा महोत्सव को भव्य स्वरूप में धूमधाम से मनाया जाएगा ।
जल क्रीड़ा महोत्सव के अंतर्गत सभी मंदिरों के भगवान मंगलवार 25 सितंबर को दोपहर 2:00 बजे तक श्री बालाजी मंदिर पुरानी गंज मंडी पहुंचेंगे । यहां पधारे हुए सभी देवताओं का पूजन अर्चन श्री बालाजी मंदिर की ओर से किया जावेगा । आरती पश्चात दोपहर 2:30 बजे भजन सत्संग के साथ भव्य शोभायात्रा प्रारंभ होगी । सुसज्जित डोलो में विराजे भगवान की शोभायात्रा पुरानी गंज मंडी बालाजी मंदिर से प्रारंभ होकर तिरंगा चौक , रामाधीन मार्ग , श्री श्याम मंदिर गली से कामठी लाइन , भारत माता चौक , आजाद चौक , मानव मंदिर चौक से फौवरा चौक होते हुए रानी सागर पहुंचेगी । यहां भव्य सुसज्जित नाव में बैठकर भगवान जल क्रीड़ा करेंगे । श्री सत्यनारायण मंदिर समिति एवम संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव समिति के अध्यक्ष अशोक लोहिया ने बताया कि सनातन संस्कृति के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं , इस दिवस को देव सोहनी एकादशी कहा जाता है । इसके पश्चात भगवान भादवा शुक्ल एकादशी को छीरसागर में करवट लेते हैं , जिससे सागर का जल हिलता है अतः इस दिवस को जलझूलनी एकादशी कहा जाता है । कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान योग निद्रा से जागते हैं और इस दिवस को देवउठनी एकादशी कहा जाता है । इस प्रकार भादवा शुक्ल ग्यारस ( जलझूलनी एकादशी ) को रानीसागर में भगवान नौका में बैठकर विहार करते हैं और अपने भक्तों को सुख , शांति एवम समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं । नगर में डोला ग्यारस पर रियासत काल से ही प्रमुख मंदिरों से भगवान डोले में बैठकर अपने अपने मंदिरों से निकलकर रानीसागर पहुंचते रहे है । अलग अलग निकलने से दर्शनार्थियों को आनंद की अनुभूति नहीं होती थी , अतः श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के द्वारा पहल की गई और सभी मंदिरों के भगवान एक स्थान पुरानी गंज मंडी स्थित श्री बालाजी मंदिर में एकत्रित होकर वहीं से शोभायात्रा के रूप में निकलने लगे है जिसकी पूरे नगर में प्रसंशा हो रही है ।
संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव समिति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नगर के धर्म प्रेमी माता – बहनों एवं बंधुओं से आग्रह किया है कि इस डोला ग्यारस पर निकलने वाली भव्य शोभायात्रा में शामिल होकर धर्म लाभ प्राप्त करें एवम शोभायात्रा का अपने निवास – कार्यालय के सामने उपस्थित होकर स्वागत – अभिनंदन एवं पूजा अर्चना करें एवं डोले के नीचे से निकल कर अपनी मनोकामना पूर्ण करें ।
