कलेक्टर ने जिला स्तरीय निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के सफल क्रियान्वयन के संबंध में ली बैठक

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राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जिला स्तरीय निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के सफल क्रियान्वयन के संबंध में बैठक आयोजित की गई। इस दौरान पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग उपस्थित थे। कलेक्टर ने जिले में संचालित सभी निजी विद्यालयों के 25 प्रतिशत सीटों पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के बच्चों का निःशुल्क प्रवेश कराने के निर्देश दिए। उन्होंने निजी विद्यालयों को विद्यालय के आस-पास अथवा बसाहट के बच्चों को अधिनियम के तहत प्रवेश देने कहा। उन्होंने बताया कि प्राथमिक कक्षाओं हेतु 1 किलोमीटर की परिधि एवं माध्यमिक शालाओं हेतु 3 किलोमीटर की परिधि निर्धारित है। किसी निजी विद्यालयों के 1-3 किलोमीटर के परिधि में कोई बसाहट नहीं होने पर उनका निर्धारण जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाएगा। वंचित समूह अंतर्गत अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग एवं वनभूमि पट्टाधारक परिवार के बालक-बालिका तथा कमजोर वर्ग अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार, 40 प्रतिशत दिव्यांग एवं एचआईवी पॉजिटीव बालक-बालिका या पालक और अंत्योदय कार्ड धारक परिवार के बालक-बालिका को प्रवेश दिया जाएगा। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक कक्षा से कक्षा 8वीं तक निःशुल्क अध्ययन का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इसके पश्चात अध्ययन निरंतरता का प्रावधान रखा गया है, जिसमें कक्षा 8वीं के पश्चात् कक्षा 9वीं से 12वीं तक भी निःशुल्क अध्ययन की व्यवस्था है।
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि निजी विद्यालय में प्रवेश के समय बच्चों की आयु के सत्यापन के लिए जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने पर अस्पताल या सहायक नर्स और रजिस्टर अभिलेख, आंगनबाड़ी अभिलेख, माता-पिता या संरक्षण द्वारा बालक की आयु की शपथ पत्र द्वारा घोषणा प्रस्तुत किया जा सकता है। कक्षा नर्सरी से कक्षा पांचवीं तक के लिए अधिकतम 7 हजार रूपए एवं कक्षा छठवीं से कक्षा आठवीं तक के लिए अधिकतम 11 हजार रूपए या संबंधित विद्यालय का न्यूनतम शुल्क, साथ ही 541 रूपए गणवेश, 250 रूपए पाठ्यपुस्तक हेतु प्रतिपूर्ति का प्रावधान है। कक्षा नवमीं से कक्षा बारहवीं तक के लिए 15 हजार रूपए प्रति छात्र के मान से एकमुश्त देय होगा। शिक्षा के अधिकार के तहत प्रवेशित बच्चों का अन्यत्र निजी विद्यालय में स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि आरटीई अंतर्गत चयनित अधिकांश विद्यार्थी अध्ययन के दौरान अनेक कारणों से ड्राप आऊट हो जाते हंै। उनके ड्राप आऊट होने के कारणों की पहचान कर उनका ड्राप आऊट रेट कम करना हैं। कई पालक योजना का लाभ लेने के लिए अनुचित तरीके से कई आधार कार्ड, गलत किराया नामा बनवाकर प्रवेश के लिए नोडल प्राचार्य पर अनुचित दबाव बनाते हंै। स्कूलों द्वारा गणवेश, अतिरिक्त किताबें, पाठ्यक्रम की किताबे, बच्चों को निःशुल्क उपलब्ध करानी है। जिले के सभी निजी विद्यालयों में बच्चों की समस्या को दूर करने तथा उन्हें निरंतर अध्ययन हेतु प्रेरित करने हेतु मेंटॉर नियुक्त किया जाना है। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह, नगर निगम आयुक्त अभिषेक गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल, जिला मिशन समन्वयक सतीश ब्यौहारे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।