गणेशोत्सव पर्व में कृष्णा टाकिज में धूम मचा रही छत्तीसगढ़ी फिल्म कालेज लाईफ..कहानी मया के

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सितम्बर 2024 *गणेशोत्सव पर्व में कृष्णा टाकिज में धूम मचा रही छत्तीसगढ़ी फिल्म कालेज लाईफ..कहानी मया के*,,, … *संस्कारधानी नगरी के कलाकारों ने किया है जबरदस्त अभिनय*… *सुरीले गीत -संगीत से सजी फिल्म को देखने उमड़ रही भीड़*

राजनांदगांव / शहर के बीच की एक मात्र सर्व सुविधा युक्त एवं एयरकुल्ड श्री कृष्णा टॉकिज में इन दिनों गणेशोत्सव पर्व के दौरान छत्तीसगढ़ी फिल्म कालेज लाइफ कहानी मया के ,,खासा धूम मचा रही है। श्री कृष्णा टाकिज में रोजाना 4 खेलों में चल रही कालेज लाइफ कहानी मया के नामक छत्तीसगढ़ी फिल्म को देखने दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

बता दें कि इस फिल्म में काम करने वाले कलाकार हमारे संस्कारधानी नगरी के है। फिल्म में हीरो की भूमिका करने वाले बजरंगपुर-नवागांव के कलाकार टी.आर. भार्गव ने इस फिल्म में अपने शानदार अभिनय से जान डाल दी है। वही फिल्म की हिरोईन पूनम चन्द्राकर भी लोगों को खासा आकर्षित किया। इस छत्तीसगढ़ी फिल्म में नगर के कलाकार अनिल हरिहारणो जहां चरित्र अभिनेता के रूप में नजर आएं‌ है वही हास्य कलाकार के रूप में हरिशंकर भार्गव, एस.आर. भार्गव अपनी बेजोड़ हास्य अभिनय से लोगों को हसाते हुए नजर आ रहे हैं। फिल्म कालेज लाइफ का संगीत पक्ष काफी मजबूत बना हुआ है ।

खासकर बैक ग्रांउड संगीत हर दृश्यों में अपनी अलग छाप छोड़ रहा है। संगीत की कलाकारी नगर के युवा संगीतकार प्रशासन कुशवाह ने दिखाई है वहीं फिल्म के ज्यादातर गीत हरिशंकर भार्गव ने ही लिखे है। जिसका रिकाडिंग कटक (उड़ीसा) में किया गया है फिल्म के मुख्य संगीतकार वही के है। गीतों को सुनील सोनी, चम्पा निषाद, ताहिर खान, तरूण देशमुख आदि ने अपने सुमधुर स्वरों से सजाया है।

कालेज लाइफ वाली प्रेस-प्रसंग पर आधारित साफ-सुथरी फिल्म बहुत दिनों बाद टाकिजों में देखने को मिल रही है। इसमें प्रेमी के रूप में हीरो टी.आर. व हिरोईन पूनम चन्द्राकर ने अपने अभिनय से फिल्म में जान डाल दी है। संवेदन जनक दृश्य में वह खूब फब रही है। इसी तरह उसके पिता के रूप में शहर के अनिल हरिहारणो ने अच्छा अभिनय किया है।

अन्य पात्रों में चरित्र अभिनेत्री जया पटेल, तरूण देशमुख, नवीन कश्यप अच्छा जमे है। इस फिल्म में दिग्विजय कालेज, शीतला माता मंदिर, चौपाटी व दुर्ग-भिलाई के दृश्य आकर्षित करते है। फिल्म में शहर के साहित्यकार मानसिंह “मौलिक” की सहभागिता इसके उज्जवल पक्ष को दिखाता है वही कैसे बतावव रे मितवा… तोर से कतका प्यार है…. गोरी तोर आखी के काजर व पैरी छुन्नूर-छुन्नूर बाजे,,, आदि गीतों ने अपनी सुमधुरता के कारण फिल्म में जान डालने का काम किया है जिसे टांकिज में बैठकर सुनना काफी अच्छा एवं सुकुन दायक लगता है।